Monday, August 10, 2015

घर जमाई भी कर सकता है दहेज उत्पीड़न: HC

लखनऊ

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने साफ किया है कि किसी को घर जमाई होने से दहेज के आरोपों से बरी नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि किसी के घर-जमाई होने भर से यह साबित नहीं हो जाता कि वह या उसके माता-पिता दहेज लोभी नहीं हैं। मामला दहेज मांगने के आरोपी सर्वेश शाह का है जिन्होंने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर अपने माता-पिता को इन आरोपों से मुक्त करने की गुजारिश की थी।

अपनी दलील में उन्होंने कहा कि वह शादी के बाद से अपने ससुर के घर में रहते हैं इसलिए उनके माता-पिता पर दहेज उत्पीड़न के आरोप लगाना सही नहीं है।

मामले की सुनवाई करते हुए जज आदित्य नाथ मित्तल ने कहा कि ऐसे में अदालत जब चार्ज तय करेगी तो एफआईआर में दर्ज आरोपों को ही आधार नहीं बनाएगी।

गौरतलब है कि विवाह के बाद सर्वेश शाह ससुराल में रहने लगा। लेकिन दहेज की मांग के चलते उसके वैवाहिक संबंध बिगड़ गए। जिसके बाद लड़की पक्ष ने लड़के और उसके माता-पिता पर दहेज मांगने का मुकदमा कर दिया।

सुनवाई के दौरान लखनऊ सेशंस कोर्ट में सर्वेश ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह घर जमाई रहा है, इसलिए उसके माता-पिता पर दहेज लोभी होने का आरोप नहीं लगाया जा सकता।

लेकिन अडिशनल डिस्ट्रिक्ट ऐंड सेशन्स जज ने 12 जून को इस तर्क को नकार दिया। जिसके बाद आरोपी ने हाई कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दाखिल किया। जिसे हाईकोर्ट ने भी खारिज कर दिया।

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